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Tuesday, January 1, 2019

श्री संत सेना महाराजांच्या पूर्वीचा काळ

                                                                                                                                                


श्री संत सेना  महाराजांच्या पूर्वीचा काळ 


वैष्णव सांप्रदाय

               उपनिषदांच्या  नंतर  जी मोठी  धर्म  सुधारणेची  चळवळ  झाली  त्यातून  हा  वैष्णव  सांप्रदाय  निघाला  हा  मूळ  भक्तिप्रधान  एकेश्वरी  धर्म होय.  पांचरात्र,  भागवत  नारायण  धर्म,  वासुदेव  भक्ती  इत्यादि  अनेक  सांप्रदाय   एकत्र  होऊन  हा  पंथ  निघाला  आहे.  राधाकृष्ण  पूजा  व्  श्रृंगार  विलास  यांची  भर  मागुन  पडली  पुढे  रामानंद,  नामदेव,  सेना  महाराज  व्  इतर  संत  महात्म्यानी  याचेच  स्वरुप  थोड़े  पालटून  देशीभाषेत  रामभक्ती  व  विठ्ठल  भक्ती  सुरु  केली.

श्री संत सेना  महाराजांच्या पूर्वीचा काळ
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भागवत धर्म व वारकरी पंथ 

                  भागवत  धर्म  व  वारकरी  पंथ  सामान्यपणे  एकच  होत  भागवत  धर्मातील  श्री कृष्ण  परमात्मा  म्हणजेच  पांडुरंग  हे  यांचे  उपास्य  दैवत  होय  म्हणून  वारकरी  पंथास  भागवत  धर्म  असे  म्हणतात.  आषाढ़  कार्तीक   शुद्ध  एकदशीला  पंढरपुरास  वारीकरणारा,  तुळशीची  माळ  धारण  करणारा  यास  वारकरी  म्हणतात.  विठ्ठल,  पांडुरंग  ही  बाळ  कृष्णाचीच  नावे  होत.  पांडुरंगाचा  अवतार  हा  पुंडलिकासाठी  झालेला  आहे.  पांडुरंगाची  पूजा  श्री संत ज्ञानेश्वरांच्या  पुर्वीही  बरिच  वर्षे  चालू  होती  त्यावरून  या  पंथाचा  उगम  पुर्वी  दोन - तीनशे  वर्षे  झाला  असावा  पुढे  या  पंथात  ज्ञानेश्वर,  नामदेव   एकनाथ,  तुकाराम   हे  व  यांच्यासारखे  अनेक  संत  महात्म्ये  उदयास  आले   भक्तिमार्ग  हा  ज्ञानमार्गापेक्षा  श्रेष्ठ  व  सर्वाना  सुलभ  आहे.  परमेश्वराच्या  पायाशी  वर्णभेद  नाही  मुर्ति  पूजा  अद्वतेशी  कोणत्या  प्रकारे  विरोधी  नाही  व्यवहारात  चार्तुवर्ण्य  आवश्यक  आहे.  इत्यादी  मते  त्यावेळी  अस्तित्वात  आली.