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Thursday, January 3, 2019

धर्म क्रांतीतुन संत मालिका

                                                                                                                             
धर्म क्रांतीतुन संत मालिका 

             श्रेष्ठ  धर्म  आणि  विकृत  धर्म  यामध्ये  कलह  सुरु  झाला  धर्मक्रांती  झाली  ही  धर्मक्रांती  महाराष्ट्रात  ज्ञानेश्वर,  तुकाराम  इत्यादी  संतानी  केली  तिकडे  कर्नाटकात  महात्मा  बसवेश्वरानी  आपल्या  लेखनी  द्वारे  धार्मिक  विषमतेवर  प्रहार  करत  होते. 

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            नाभिक  समाजातील  ज्येष्ठ  अनुयायी  हड्पद  अप्पण्णा  स्वामीसह  इतर  बहुजन  समाजातील  शिव  भक्तांची  उत्तम  साथ  लाभत  होती.  इकडे  महाराष्ट्रात  संत  ज्ञानेश्वरांनी  संस्कृतचे  धर्मज्ञान   रत्नभंड़ार  फोडले.  आणि  ती  धर्मज्ञान  रत्ने   त्यांनी  ब्राह्मणांपासून  थेट  अत्यंजा  पर्यत  वाटली  आणि  त्या  धर्मज्ञान  रत्नांपैकी  भक्ती,  नामस्मरण,  सात्विक  जीवन,  सत्याचरण,  बंधू भाव,  पांडुरंग  भक्ती,  वारी  या  धर्मज्ञान  रत्नांनी  प्रभावित  होऊन  जाती  जातीतून  श्रेष्ठ  संतांची  मालिका  निर्माण  झाली  कुंभार  श्री संत गोरोबा  कुंभार  गोरागोमटा  ठरला  माळी  जातीतून  सावंतामाळी  चांभार   जातीतून  संत  रोहिदास  संत  दावर  आरोहित  झाला.  चोखामेळा  महार  संत  चोख  ठरला   पैठणच्या  पंथातून  एकनाथ  संत  मनपसंत  ठरला  वाण्यातून  संत  श्रेष्ठ  तुकाराम  महाराज  अभंगवाणी  बोलला,  शिंपी  जातीतून  संत  नामदेव  जानवला  कसायातून  सज्जन  कसाई  श्रेष्ठ  पण  सजला  जनाई  जनाबाई  ठरली.  मुसलमानातून  संत  कबीर  मुसमुसला,  सोनारातून  नरहरि  सोनार  सोन्यासारखा  चमकला,  रामाकुंभार,  विसोबा  खेचर,  बंका  महार,  परीसा  भागवत,  कान्होपात्रा  ही  संतांची  मालिका  पसरली.  बंगालमध्ये  चैतन्य  प्रभु  चेतावले,  गुजरातेत  नरसी  मेहता  महत्व  पावले,  राजपूतान्यात  मीराबाई  मिरवली  त्याचप्रमाणे  नाभिक  समाजातुन  श्री संत सेना  महाराज  संत  सेनेचे  सेनापती  ठरले.  त्या  संत  सेना  महाराजांचे  चरित्र  आपण  या  पुढील  लेखनात  पाहु  या.